मध्य प्रदेश स्तनपान को प्रोत्साहित करने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग, स्वास्थ्य विभाग और बच्चों के लिए काम करने वाली संस्था यूनिसेफ ने मिलकर बुधवार को स्तनपान जागरूकता अभियान की शुरुआत की। यह अभियान 37 दिनों का है। इस अभियान के दौरान विशेषज्ञ बच्चों को जन्म देने वाली महिलाओं को परामर्श दे रहे हैं।
अभियान के पहले दिन विशेषज्ञों का एक दल भोपाल के बैरागढ़ के सरकारी अस्पताल में पहुंचा। यहां एक महिला नीतू ने अपनी पहली संतान को जन्म दिया। बच्चे के जन्म की खबर मिलते ही वहां मौजूद विशेषज्ञ महिला के पास पहुंचे और उसे स्तनपान का महत्व बताया। नीतू भी उनकी बात से सहमत थी और यही कारण है कि उसने अपनी बेटी को जन्म के एक घंटे के भीतर ही स्तनपान कराया।
विशेषज्ञों ने नीतू से कहा कि अगर वह अपनी बेटी को तंदुरुस्त रखना चाहती है तो उसे लगातार छह माह तक स्तनपान कराना चाहिए। साथ ही उसे बताया गया कि पहले घंटे से छह माह तक स्तनपान कराने से बच्चे के लिए जरूरी पौष्टिक तत्व, विटामिन व खनिज की पूर्ति हो सकती है।
उल्लेखनीय है कि राज्य में 61.5 फीसदी महिलाएं नवजात को जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान कराती हैं, मगर छह माह तक यह सिलसिला जारी नहीं रखतीं। अगर छह माह तक स्तनपान कराने वाली महिलाओं पर नजर दौड़ाएं तो पता चलता है कि ऐसी महिलाओं की संख्या सिर्फ 37 फीसदी है।
राज्य में महिलाओं को स्तनपान से होने वाले लाभों का ब्योरा देने के लिए 37 दिन की कार्ययोजना बनाई गई है। इस अवधि में तरह-तरह के कार्यक्रम आयोजित कर विशेषज्ञ महिलाओं को स्तनपान की खूबियां बताएंगे
अभियान के पहले दिन विशेषज्ञों का एक दल भोपाल के बैरागढ़ के सरकारी अस्पताल में पहुंचा। यहां एक महिला नीतू ने अपनी पहली संतान को जन्म दिया। बच्चे के जन्म की खबर मिलते ही वहां मौजूद विशेषज्ञ महिला के पास पहुंचे और उसे स्तनपान का महत्व बताया। नीतू भी उनकी बात से सहमत थी और यही कारण है कि उसने अपनी बेटी को जन्म के एक घंटे के भीतर ही स्तनपान कराया।
विशेषज्ञों ने नीतू से कहा कि अगर वह अपनी बेटी को तंदुरुस्त रखना चाहती है तो उसे लगातार छह माह तक स्तनपान कराना चाहिए। साथ ही उसे बताया गया कि पहले घंटे से छह माह तक स्तनपान कराने से बच्चे के लिए जरूरी पौष्टिक तत्व, विटामिन व खनिज की पूर्ति हो सकती है।
उल्लेखनीय है कि राज्य में 61.5 फीसदी महिलाएं नवजात को जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान कराती हैं, मगर छह माह तक यह सिलसिला जारी नहीं रखतीं। अगर छह माह तक स्तनपान कराने वाली महिलाओं पर नजर दौड़ाएं तो पता चलता है कि ऐसी महिलाओं की संख्या सिर्फ 37 फीसदी है।
राज्य में महिलाओं को स्तनपान से होने वाले लाभों का ब्योरा देने के लिए 37 दिन की कार्ययोजना बनाई गई है। इस अवधि में तरह-तरह के कार्यक्रम आयोजित कर विशेषज्ञ महिलाओं को स्तनपान की खूबियां बताएंगे
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