Tuesday, October 9, 2007

ऐसा अख़बार जिसमें सभी 'बाल पत्रकार'

मंगलवार, 09 अक्तूबर, 2007, फ़ैसल मोहम्मद अली, बीबीसी संवाददाता, भोपाल

न्यूज लेटर की ख़बरें कई मामलों में अपनी छाप भी छोड़ रही हैं
मध्य प्रदेश में एक स्वयंसेवी संस्था ने 'बच्चों की पहल' नामक त्रिमासिक अख़बार शुरू किया है. ख़ास बात ये है कि इस अख़बार के सभी रिपोर्टर स्कूली बच्चे हैं. होशंगाबाद ज़िले की सोहागपुर तहसील में यूनीसेफ़ की पहल पर दलित संघ नामक स्थानीय स्वयंसेवी संस्था ने यह पहल की है.

तीन कमरों वाले स्कूलों में जहाँ कक्षा एक से आठ तक की पढ़ाई होती है, वहाँ पढ़ने वाले इन बच्चों का उत्साह देखते ही बनता है. वे अपना परिचय कुछ इस अंदाज़ में देते हैं. “मेरा नाम ज्योति है. मैं आठवीं में पढ़ती हूँ और दलित संघ की पत्रकार हूँ...या “ मैं शिवकुमार हूँ और मैं पत्रकार हूँ...”

उत्साह

इन परिचयों को किसी खेल या नाटक की रिहर्सल का हिस्सा समझने वाले आगंतुकों को वहाँ मौजूद शिक्षक और कभी खुद बच्चे बताते हैं कि वे वाकई पत्रकार हैं. हम भविष्य के लिए एक ऐसा वर्ग तैयार करना चाहते हैं जो अपनी बात निडरता से सत्तासीन लोगों के सामने कह सके


गोपाल नारायण आवटे, संपादक

हिंदी में छपने वाले चार पन्नों के ‘बच्चों की पहल’ न्यूज लेटर के दो अंक अब तक प्रकाशित हो चुके हैं और तीसरा ज़ल्द ही आने वाला है.

यूनिसेफ़ की मध्य प्रदेश इकाई के प्रमुख हामिद अल बशीर कहते हैं कि यह प्रोजेक्ट समाज में बदलाव के लिए बच्चों की पहल है.

संस्था के प्रवक्ता अनिल गुलाटी के अनुसार यूनिसेफ़ ने इस न्यूज़ लेटर के लिए दलित संघ को ख़ुद से इसीलिए जोड़ा क्योंकि संस्था एक ऐसे वर्ग के लिए काम कर रही है जो हमेशा सबसे पीछे की पंक्ति में खड़ा मिलता है.

संपादक गोपाल नारायण आवटे का कहना है कि मौजूदा समाचार माध्यमों में आजकल गाँव से जुड़ी ख़बरें लगभग नगण्य हैं, ख़ासतौर पर दलितों की रोज़मर्रा की ज़िंदगी से जुड़ी ख़बरें जिन्हें समाज के सामने लाने में इस न्यूज लेटर से मदद मिलेगी.

यह पूछे जाने पर कि संवाददाताओं के तौर पर बच्चों का ही चयन क्यों किया गया, आवटे कहते हैं कि पहले तो ग्रामीण दलितों के बीच से नियमित तौर पर ख़बरें भेजने के लिए पढ़े-लिखे लोगों की कमी थी और दूसरे वह भविष्य के लिए एक ऐसा वर्ग तैयार करना चाहते हैं जो अपनी बात निडरता से सत्तासीन लोगों के सामने कह सके.

नई दुनिया
‘बच्चों की पहल’ ने ग्रामीण बच्चों के लिए ख़बरें लिखने के तरीके, फ़ोटोग्राफी और कार्टूनों की एक नई दुनिया ही खोल दी है.
नवलगाँव के चौकीदार के बेटे दयाशंकर जहाँ अख़बार के लिए संवाददाता और कार्टूनिस्ट दोनों की भूमिका निभा रहे हैं, वहीं मज़दूर के बेटे हरिओम अपने विचार कार्टून की आड़ी-तिरछी लकीरों के माध्यम से सामने रखने लगे हैं.मैं चिंतित हूँ कि कहीं बार-बार समस्याओं की बात उठाने से बच्चे शक्तिशाली लोगों को अपना दुश्मन न बना लें, शिक्षक तरवर सिंह पटेल

होशंगाबाद के सोहागपुर तहसील के दूरदराज़ इलाकों में रह रहे ये किशोर संवाददाता अपनी रिपोर्टें, लेख और प्रकाशन के लिए दूसरी सामग्रियां दलित संघ कार्यकर्ताओं या डाक के माध्यम से सोहागपुर भेजते हैं. जहाँ ख़बरों के संकलन और संपादन के बाद उन्हें प्रकाशित किया जाता है.

दलित संघ कार्यकर्ता सुनील कहते हैं कि न्यूज़ लेटर की ख़बरें कई मामलों में अपनी छाप भी छोड़ रही हैं. मसलन गुंदरई स्कूल में खेल मैदान न होने की ख़बर प्रकाशित होने के बाद मुख्यमंत्री ने जिल़ा कलेक्टर को इस बाबत निर्देश दिए.

मगर जहाँ दलित सशक्तीकरण, बच्चों में सामयिक विषयों पर होनेवाली चर्चाएं, उनके बढ़ते शब्दकोष और अभिव्यक्ति में आया पैनापन खुशी का विषय है, वहीं शिक्षक तरवर सिंह पटेल चिंतित हैं कि कहीं बार-बार समस्याओं की बात उठाने से बच्चे शक्तिशाली लोगों को अपना दुश्मन न बना लें.

लेकिन मास्टर साहब की चिंताओं से बेख़बर स्वभाव से शर्मीली मीना जहाँ नारी अधिकार पर अपनी कविता सुना रही हैं, वहीं पूजा रघुवंशी ‘भगवान ने पेट किस लिए दिया है, पायजामा बाँधने के लिए’ जैसे चुटकुले सुनाकर ठहाके लगवा रही है.

2 comments:

shehla Masood said...

And a woman who held a babe against her bosom said, "Speak to us of Children."

And he said:

Your children are not your children.

They are the sons and daughters of Life's longing for itself.

They come through you but not from you,

And though they are with you, yet they belong not to you.

You may give them your love but not your thoughts.

For they have their own thoughts.

You may house their bodies but not their souls,

For their souls dwell in the house of tomorrow, which you cannot visit, not even in your dreams.

You may strive to be like them, but seek not to make them like you.

For life goes not backward nor tarries with yesterday.

You are the bows from which your children as living arrows are sent forth.

The archer sees the mark upon the path of the infinite, and He bends you with His might that His arrows may go swift and far.

Let your bending in the archer's hand be for gladness;

For even as he loves the arrow that flies, so He loves also the bow that is stable.

Anonymous said...

This is very good effort where children can learn to present their problems in the same manner they perceive it and also can impact on accountable people to do their jobs in time and properly.
very good effort.
I wish to Child Reporters and the teachers who put their efforts
vidheshpandey@gmail.com